योग एक अभ्यास है जो हमारे भीतर शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक अनुशासन स्थापित करता है। आसान शब्दों में योग एक प्रकार का व्यायाम है जो हमारे शरीर को योग्य, मन को शांत और आत्मा को शुद्ध करता है।योग शरीर के सभी अंगों और श्वास से जुड़ी समस्या से दूर रखता है। “योग” संस्कृत के “युज” धातु से बना है है जिसका अर्थ है “जोड़ना”। बताया गया है कि योग शरीर को आत्मा से और आत्मा को परमात्मा से जोड़ता है। श्वास और मुद्राओं पर आधारित यह व्यायाम शरीर को संतुलित और मन को एकीकृत करता है जिससे व्यक्ति संपूर्ण स्वास्थ्य और शांति प्राप्त कर सकता है ।
योग दिवस की पहल भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में अपने संयुक्त राष्ट्र के संबोधन में की थी और उनके इस प्रस्ताव को पूरे विश्व का समर्थन मिला। 177 देशों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में इसे सर्वसम्मति से पारित किया। इसके बाद, पहला अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून, 2015 को दुनिया भर में सफलतापूर्वक मनाया गया। इसके बाद से हर वर्ष 21 जून को दुनियाभर में विश्व योग दिवस मनाया जाता है।
क्यों 21 जून को “विश्व योग दिवस” होता है?
भारतीय परंपराओं में ग्रीष्म संक्रांति का समय आध्यात्मिक अभ्यास के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है जो हर साल 21 जून को आता है। इस दिन उत्तरी गोलार्ध में वर्ष का सबसे लम्बा दिन होता है। ग्रीष्म संक्रांति को एक नई शुरूआत और सकारात्मक ऊर्जा के दिन के रूप में माना जाता है। यह दिन योग के माध्यम से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारने और जागरूकता बढ़ाने का एक आदर्श समय माना गया।
योग से इन्सान ख़ुद को परिवर्तित कर सकता है ।इंसान अपने गुस्से पर काबू कर सकता है, मूड को बेहतर बना सकता है । योग अनिद्रा की समस्या कम करता है, नींद की क्षमता को बढ़ाता है, तनाव को दूर करता है, आध्यात्मिक और आत्म- ज्ञान को बढ़ाता है जिससे जीवन में संतुलन बेहतर होता है। योगाभ्यास से शरीर में लचीलापन बढ़ता है, मांसपेशियो में ताकत बढ़ती है, शरीर का संतुलन विकसित होता है और शारीरिक मुद्राएं सुधरती है जिससे कमर और पीठ दर्द कम होता है । नियमित योग करने से फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है, साँस लेने की क्षमता में सुधार होता है और शरीर में रक्त का प्रवाह बेहतर होता है जिससे हृदय स्वस्थ रहता है।पाचन तंत्र मजबूत होता है और पाचन से संबंधित समस्याएँ कम होती है। योग से प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है, जिससे बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।
कैसे योग को हर दिन विकसित कर सकते है?
1. समय तय करें - एक निश्चित समय चुनें, जैसे सुबह 4 से 6 के बीच या शाम 5 से 7 के बीच, जब आप नियमित रूप से योग का अभ्यास कर सकें। ध्यान रखे कि खाने के 4 घंटे बाद योग करे, क्योंकि खाने के कुछ देर बाद किसी भी प्रकार का व्यायाम नही करना चाहिए। खाने के बाद 5 मिनट तक सिर्फ वज्रासन करे, वज्रासन से खाना पचाने में मदद मिलती है ।
2. सही स्थान चुनें - एक शांत, साफ और खुले स्थान का चयन करें जहाँ आपको ध्यान केंद्रित करने में मदद मिले। घर के अंदर ना अच्छे से ध्यान लगेगा और अच्छी हवा लेने की भी दिक्कत आ सकती है। AC और कूलर के सामने कभी भी योग ना करे।
3. योग का सही तरीका जानें - शुरुआत में किसी योग शिक्षक की मदद लें या ऑनलाइन कक्षाओं का अनुसरण करें। सही तकनीक और मुद्राओं की जानकारी ज़रूरी है।
4. धीरे-धीरे शुरू करें - पहले छोटे और सरल आसनों से शुरू करें, जैसे सूर्य नमस्कार, प्राणायांम और अनुलोम-विलोम ।धीरे-धीरे समय और कठिनाई को बढ़ाएं।
5. नियमितता बनाए रखें- नियमित अभ्यास करें, शुरु के समय में 10-15 मिनट तक योग करे, समय के साथ इसे 5-10 मिनट बढ़ा सकते हैं।
6. प्राणायाम और ध्यान को शामिल करें - शारीरिक आसनों के साथ-साथ प्राणायाम (सांस की तकनीक) और ध्यान (मेडिटेशन) को भी अपने दैनिक अभ्यास में शामिल करें। मेडिटेशन मनुष्य के 7 चक्र को बैलेंस करता है।
7. अपने शरीर की सुनें - आप उतने ही आसन करें जितना आपसे हो सके। अधिक खिंचाव या दर्द को नज़रअंदाज़ न करें जिससे आपके मांसपेशियो में किसी भी प्रकार के अंदरूनी चोट आए।
8. स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहें - सही भोजन और हाइड्रेशन पर ध्यान दें, जैसे हरी सब्ज़ी, दाल और मोटे आनाज का सेवन करे। योग एक स्वास्थ्य प्रणाली है, जिसमें पोषण भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
9. प्रेरणा बनाए रखें - प्रेरणा बनाए रखने के लिए योग से संबंधित किताबें पढ़ें, वीडियो देखें, या किसी योग समूह में शामिल हो जाए।
10. ध्यान केंद्रित रखें- योग केवल शारीरिक अभ्यास नहीं है, बल्कि मानसिक शांति और ध्यान केंद्रित करने का भी अभ्यास है, मन को शांत रखना बहुत ज़रूरी है।
योग में मुद्राओं का बहुत महत्व है, मुद्राओंके साथ श्वास के संतुलन से पूरे शरीर में ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है। अंगुलियों के स्पर्श से ध्यान केंद्रित कर, मन की शांति और अभ्यास की शक्ति को बढ़ाया जाता है। कुछ मुद्राएं और उसके सकारनात्मक प्रभाव-
1) ज्ञान मुद्रा- इस मुद्रा में आने से आत्म- ज्ञान बढ़ता है और यह आपके शरीर और मन को तनाव से दूर रखेगा।
2) अग्नि मुद्रा- इस मुद्रा में आने से पाचन शक्ति तेज़ होता है, वज़न को नियंत्रित होता है, सर्दी- ज़ुकाम से बचाता है और उस अनुसार शरीर को गरम रखता है।
3) सूर्य मुद्रा- इस मुद्रा में आने से Bad Cholesterol घटता है, वज़न कम होता है और मानसिक शांति मिलती है। इस मुद्रा को 3 मिनट से अधिक ना करे, इससे शरीर ज़्यादा गरम हो जाता है।
4) लिंग मुद्रा- यह मुद्रा शरीर को बदलते मौसम से निपटने में मदद करता है और आपके श्वसन तंत्र को मजबूत बनाता है।
5) पृथ्वी मुद्रा- इस मुद्रा में आने से त्वचा में प्राकृतिक चमक आती है और आत्मविश्वास बढ़ता है।
6) वायु मुद्रा- यह मुद्रा शरीर के भीतर वायु को संतुलित करता है और साथ ही पाचन तंत्र को संतुलित करता है।
7) अपान वायु मुद्रा- यह मुद्रा सिरदर्द और दांत से जुड़ी समस्या कम करता है।
8) वरुण मुद्रा- यह मुद्रा शरीर के भीतर पानी को संतुलित करता है।
9) शून्य मुद्रा- यह मुद्रा कानो से जुड़ी समस्याओं को कम करता है।
10) प्रण मुद्रा- यह मुद्रा आँखो से जुड़ी समस्याओं को दूर रखता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) को बढ़ाता है।