आखिर प्यार तो प्यार है – LGBTQ समुदाय की अधिकारों की लड़ाई कब तक?

भारत में पहले समलैंगिक रिश्तों को गैरकानूनी माना जाता था। समलैंगिक रिश्ते बनाने पर जोड़े को 10 साल या उससे अधिक की सजा होती थी। लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब यहां सेक्स संबंध गैरकानूनी नहीं है, पर शादी के लिए मान्यता मिलनी बाकी है। आज के समय में 38 देश समलैंगिक विवाह की मान्यता दे चुके हैं।
आखिर प्यार तो प्यार है – LGBTQ समुदाय की अधिकारों की लड़ाई कब तक?
Graphic by Shatakshi Sarvesh
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दुनिया में एक चीज़ बहुत अच्छी है, वह है प्यार। प्यार हम किसी से भी कर सकते हैं, पर हमारा समाज इस पर भी कई पाबंदियाँ लगाता है।

LGBTQ जिसमें, समलैंगिक या आम भाषा में लेस्बियन (लड़की-लड़की का प्यार), गे (लड़के-लड़के का प्यार), उभयलिंगी या बाइसेक्सुअल (लड़का या लड़की, दोनों से लगाव होना), पैनसेक्सुअल (सभी लिंगों से लगाव होना) या ट्रांसजेंडर (जिसकी पहचान जन्मजात लिंग से नहीं होकर दूसरे लिंग के रूप में होती है) शामिल हैं, वही अलैंगिक या एसेक्सुअल (जो दूसरों के प्रति यौन आकर्षण में रुचि नहीं रखते हैं) और दूसरे वर्ग को जोड़कर इसे क्वीर कहा जाता है। यह सभी लोग LGBTQ वर्ग में आते हैं।

दो महीने पहले, हरियाणा के गुरुग्राम में समलैंगिक जोड़े अंजू और कविता ने एक-दूसरे से शादी कर ली। जब यह चीज़ सोशल मीडिया पर वायरल हुई, तब लोगों ने इस शादी का मजाक उड़ाया, अंजू और कविता को अपशब्द कहा गया, और कविता की माँ ने अभी तक इस शादी को स्वीकार नहीं किया है।

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आखिर प्यार तो प्यार है – LGBTQ समुदाय की अधिकारों की लड़ाई कब तक?

LGBTQ के संबंध में हमारे समाज में लोगों की कई प्रकार की सोच होती है। प्यार और शादी के संबंध में हमारी सोच को घर पर बहुत सीमित किया जाता है। समाज के मुताबिक, प्यार और शादी एक लड़का और एक लड़की के बीच ही होनी चाहिए। पुरुष का पुरुष से प्यार या शादी, या फिर स्त्री का स्त्री से प्यार या शादी, इसे हमारा समाज अभी भी स्वीकार नहीं करता। भारत में पहले समलैंगिक रिश्तों को गैरकानूनी माना जाता था। समलैंगिक रिश्ते बनाने पर जोड़े को 10 साल या उससे अधिक की सजा होती थी। लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब यहां सेक्स संबंध गैरकानूनी नहीं है, पर शादी के लिए मान्यता मिलनी बाकी है। आज के समय में 38 देश समलैंगिक विवाह की मान्यता दे चुके हैं।

2021 के इप्सोस सर्वेक्षण में पाया गया कि भारत में लगभग 50,000 लोगों में से 17% लोग समलैंगिक के रूप में, 9% उभयलिंगी के रूप में, 1% पैनसेक्सअुल के रूप में, और 2% अलैंगिक के रूप में पहचान करते हैं। 69% की पहचान विषमलैंगिक के रूप में की गई। 2023 में, भारत में डेलॉइट सर्वेक्षण ने 445 लोगों का सर्वे किया, जिसमें यह पाया गया कि 6% ट्रांसजेंडर या गैर-बाइनरी/लिगं क्वीयर के रूप में 60% उभयलिंगी के रूप में, 7% समलैंगिक के रूप में, 4% समलैंगिक के रूप में, और 17% अलैंगिक हैं।

भारत में LGBTQ पर बहुत सारी फिल्में और वेब सीरीज बनाई गई हैं, जैसे कि 'शुभमंगल ज़्यादा सावधान', 'बधाई दो,'एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा','कपूर एंड संस', 'बॉम्बे टॉकीज़', 'अलीगढ़', 'चंडीगढ़ करे आशिकी','मार्गरिटा विद ए स्ट्रॉ' और 'हाड़ी'। फिल्मों के साथ-साथ सोशल मीडिया पर भी बहुत सारे लोग #LoveIsLove या हर साल जून को #pridemonth के रूप में इस्तेमाल करके उस आंदोलन का हिस्सा बन जाते हैं।

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अजीब है ना, इतना सब कुछ होने के बाद, आज भी जब हम इस विषय पर बात करते हैं, तो लोग खासकर युवा, या तो बात नहीं करना चाहते हैं या उन लोगों का मजाक उड़ाना पसंद करते हैं। आखिर प्यार तो प्यार है, चाहे जिसे करें, यह चुनने की आज़ादी है, सभी के पास यह आज़ादी है।

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