सबसे हँस कर मिलता हूँ... | Hindi Poetry

पढ़िए ईशनय प्रकाश की लिखी हिंदी कविता "सबसे हँस कर मिलता हूँ"
सबसे हँस कर मिलता हूँ... | Hindi Poetry
Jaano Junction
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चाहे रोहिनी न दिखती हो,

कहीं रौशनी न दिखती हो,

हर तरफ़ अंधकार हो,

या मन में हाहाकार हो,

जीवन के मेले में, गिरता हूँ, सम्भलता हूँ,

सबसे हँस कर मिलता हूँ।

हर रूप में, हर हाल में,

मैं हूँ मगन हर काल में

सुकून भरी आँचल में,

चुनौतियों के हर पल में, कठिनाइयों के दल-दल में,

फूल बन के खिलता हूँ,

इस सियाह रात के सफ़र में हम,

है दर-बदर, बीच भँवर में हम।

हो रौशनी ऐसी नहीं जगह कोई,

दिखती नहीं रात की सुब्ह कोई,

रात की चादर को, मैं जुगनुओं से सिलता हूँ,

हारा नहीं हूँ अभी, जुनून अभी बाकी है,

मातृभूमि का दिया वो खून अभी बाकी है,

निन्यानवे हार के बाद मैं प्रयास सौ वी बार हूँ,

मैं हार का सेहरा भी हूँ और जीत का श्रृंगार हूँ,

मैं अनगिनत विफलता के बाद की सफ़लता हूँ।

~ईशनय प्रकाश

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