नेकी, तेरा अंत वैसा हीं है | Hindi Poem

पढ़िए दिव्यांशु पाण्डेय की लिखी हिंदी कविता "नेकी, तेरा अंत वैसा हीं है"
नेकी, तेरा अंत वैसा हीं है | Hindi Poem
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नेकी, तेरा अंत वैसा हीं है

जैसा उस पेड़ का होगा।

जिनको भी तुम छाया दोगे

तुम्हारा उन्हीं के हाथों कटना होगा।

वो बेईमानी की तराजू थामें होंगे

आ झांसे में उनके, तुझे मिटना होगा।

कहीं बनेंगी किवारें तेरी;

कभी लाशों तले जलना होगा।

भले हीं प्रेम के अक्षर तेरे हर पत्ते पर;

फल, फूल सब उनके लिए;

पर जब जब पतझड़ की मार पड़ेगी

तुम्हे अकेला ही लड़ना होगा

तुम्हे अकेला ही मरना होगा।

- दिव्यांशु पाण्डेय

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