अगर आप मौनसून के महीनों मे कहीं घूमने का प्लान बना रहे हैं तो बिहार आपके लिए एक अच्छा विकल्प है| दिल्ली, गोवा और पहाड़ो पर तो हर कोई घूमने जाता है पर आप बिहार आकर यहाँ की संस्कृति, भाषा के महत्व को जानिए और इसके पीछे जुड़े इतिहास के बारे मे आप जानिए l
बिहार एक ऐसा राज्य है जिसने भारत की हर संस्कृति और भाषा वाले लोगों का स्वागत किया है लेकिन साथ ही अपने समृद्ध सांस्कृतिक तथा ऐतिहासिक विरासत को भी सहेज कर रखा हैl देश के पूर्वी हिस्से में स्थित यह राज्य झारखंड, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश तथा नेपाल से अपनी सीमाएं साझा करता है। बिहार जनसंख्या के दृष्टि से भारत में तीसरे स्थान पर है । प्राचीन काल में मगध नाम से प्रसिद्ध बिहार अपने गौरवशाली इतिहास को समेटे हुए एक अलग ही पहचान के लिए विश्व विख्यात है। यहां पहले मौर्य वंश, गुप्त वंश तथा बाद में अफ़ग़ान और मुगलों का शासन रहा।
बिहार में ऐसे कई ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटक स्थल हैं|
राजगीर:
राजगीर का पुराना नाम राजगृह था जिसका अर्थ होता है राजा का घर l राजगृह नंद वंश कालीन मगध साम्राज्य की राजधानी हुआ करता था जिसके बाद में मौर्य साम्राज्य का उदय हुआ। राजगीर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है।यहां गर्म पानी के कई जल स्रोत और कुंड है। वेणु गोपाल वन,बिम्बिसार के ख़ज़ाने की गुफा ऐतिहासिक महत्व रखते हैं। राजगीर हिंदू धर्म, बौद्ध और जैन पंथ सभी के लिए धार्मिक महत्व रखता है। राजगीर का उल्लेख महाभारत में भी किया गया है। यहीं पर श्री कृष्ण की उपस्थिति में भीम और मगध- नरेश जरासंध का प्रसिद्ध मल्लयुद्ध हुआ था जिसमे भीम ने जरासंध के शरीर को दो भागों में चीर दिया था ।
भगवान बुद्ध और भगवान महावीर ने राजगृह की धरती पर घूम - घूम कर अपने पवित्र उपदेश दिएl देश- विदेश के सैलानी यहाँ घूमने आते हैl यहाँ पर विश्व शांति स्तूप काफी प्रसिद्ध है जो राजगीर की एक पहाड़ी पर बना हुआ हैl लोग रोपवे ट्रॉली का आनंद लेते हुए या फिर पहाड़ पर चढ़कर वहां दर्शन के लिए जाते हैं । राजगीर की पहाड़ियों के सुंदर नज़ारे काफी मनमोहक हैं और अब राजगीर वन्यजीव सफारी के कारण और भी लोकप्रिय हो गया है।
यह सफारी ज़ू वन्य जीवन के करीब जाने और जंगली जीवों को उनके प्राकृतिक आवास में देखने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता हैl यहाँ आप बाघ, शेर, तेंदुआ, हाथी, और हिरण जैसी अनेक प्रजातियों को देख सकते हैं। यह ज़ू एक खुले क्षेत्र में फैला हुआ है, जहाँ जानवरों को प्राकृतिक वातावरण में रहने का मौका मिलता है।हाल ही में, यहाँ एक और आकर्षण का केंद्र बना है – कांच का पुल। यह पुल न केवल रोमांचक है, बल्कि यहाँ से दिखाई देने वाला दृश्य भी बेहद खूबसूरत है। यह पुल 200 फीट की ऊँचाई पर स्थित है और इसकी लंबाई लगभग 85 फीट है। यह पुल पूरी तरह से पारदर्शी कांच से बना है, जो इसे और भी रोमांचक बनाता है। पुल पर चलने का अनुभव ऐसा होता है जैसे आप हवा में चल रहे हों। इसकी संरचना को विशेष रूप से इस प्रकार डिजाइन किया गया है कि यह पर्यटकों के लिए पूरी तरह सुरक्षित हो।
बोध गया:
बोध गया बिहार राज्य के गया ज़िले में स्थित एक नगर है, जिसका गहरा ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है। दरअसल इस मशहूर स्थान पर करीब 2500 वर्ष पहले भगवान बुद्ध ने कठोर तप किया था। माना जाता है कि इसी स्थान पर एक पीपल के वृक्ष के नीचे 49 दिनों तक तप करने के बाद भगवान बुद्ध को वैशाख महीने की पूर्णमासी को दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। अब इस पीपल के वृक्ष को बोधि वृक्ष के नाम से जाने जाना जाता है तथा तभी से इस स्थान को बोध गया के नाम से जाना जाता हैl बोध गया बौद्ध धर्म का सबसे प्रमुख तीर्थ है और यहां काफी संख्या में श्रद्धालु एवं सैलानी आते हैंl यहां पर दुनिया में प्रसिद्ध महाबोधि मंदिर स्थित है जहां हर साल बुद्ध पूर्णिमा के दिन विश्व प्रसिद्ध इसका निर्माण राजा अशोक ने करवाया था। इस प्रसिद्ध मंदिर के पास ही कुछ वर्ष पूर्व भगवान बुद्ध की एक विशालकाय मूर्ति का निर्माण भी किया गया हैl विश्व के अनेक देशों जैसे चीन, जापान, थाईलैंड इत्यादि ने भी यहां मंदिर बनवाए हैं।
पावापुरी:
बिहार में पटना से लगभग 101 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है पावापुरी (Pawapuri), भारत के बिहार राज्य के नालंदा ज़िले में राजगीर और बोधगया के समीप स्थित एक स्थान है ।यह जैन धर्म के मतावलंबियो के लिये अत्यंत पवित्र है। जैन लोगों के लिए पावापुरी का महत्व यहां के जल मंदिर के कारण है।यहाँ के जलमंदिर की शोभा देखते ही बनती है। यहां पर स्थित जल मंदिर में भगवान महावीर को 500 ईसा पूर्व निर्वाण की प्राप्ति हुई थी और उनका अंतिम संस्कार किया गया था। इस कारण यह मंदिर जैन भक्तों के लिए पूजा का स्थल है।
नालंदा:
बिहार में नालंदा महत्वपूर्ण पर्यटक स्थलों में से एक है। इस शहर का नाम संस्कृत भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ है ज्ञान देने वाला क्योंकि यहां प्राचीन विश्व का सबसे बड़ा अध्ययन केंद्र हुआ करता था ।
यहां प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष पर्यटक स्थल के रूप मे प्रसिद्ध हैंl नालंदा मे टुटे हुए खँडहर आज भी इतिहास को समेटे हुए हैंl प्राचीन काल से ही नालंदा शिक्षा का एक मुख्य केंद्र रहा है और यहां पर तिब्बत, चीन, टर्की, ग्रीस और ईरान सहित विभिन्न देशों के विद्यार्थी ज्ञान प्राप्त करने के लिए आते थे। यह सबसे पहले बनाया जाने वाला आवासीय विद्यालय है जहां पर एक वक्त मे लगभग 2000 शिक्षक और 10000 विद्यार्थी निवास करते थे।
हाल ही में प्राचीन अवशेषों के निकट ही नए नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है।पर्यटक की दृष्टि से भी यहां पर मंदिर, विभिन्न कक्षा नालंदा विश्वविद्यालय का परिसर लाल ईंटों से निर्मित है, जो अपने आप में अद्वितीय है। यहां पर एक 9 मंजिला पुस्तकालय भी था। प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय को मुस्लिम आक्रमणकारी बख्तियार खिलजी ने नष्ट कर दिया था और यहां के कई ज्ञानी शिक्षकों को भी मरवा डाला।
सासाराम:
सासाराम, जिसे सहसराम भी कहा जाता है, भारत के बिहार राज्य के रोहतास ज़िले में स्थित एक ऐतिहासिक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। सूर वंश के संस्थापक अफ़ग़ान शासक शेरशाह सूरी का मक़बरा सासाराम में हैl सासाराम को मूल रूप से शाह सेराय (अर्थ "राजा का स्थान") कहा जाता था क्योंकि यह अफगान राजा शेर शाह सूरी का जन्मस्थान है, जो दिल्ली पर शासन करते थेl शेर शाह सूरी के 122 फुट (37 मी) लाल बलुआ पत्थर कब्र, भारत-अफगान शैली में निर्मित सासाराम में एक कृत्रिम झील के बीच में है। इस मक़बरा को देखने के लिए काफी दूर दूर से शैलानी आते हैंl
मधुबनी:
मधुबनी ज़िला भारत के बिहार राज्य का एक ज़िला हैं l जो पूर्वी बिहार में स्थित है। यह ज़िला दरभंगा विभाग में आता है और इसका प्रशासनिक मुख्यालय मधुबनी नगर है। मधुबनी ज़िला अपने विविधता, कला, और सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है, और इसे "मिथिला की राजधानी" कहा जाता है। मधुबनी ज़िला माधव की अनुसूचित सवर्णाश्रम कला (Madhubani painting) के लिए भी प्रसिद्ध है, जो यहां की स्थानीय कला और सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है। इसमें रंगीन और अद्भुत चित्रण होता है जो इसे विशेष बनाता है।मधुबनी ज़िले में कई प्राचीन मंदिर, मजारें, और सांस्कृतिक स्थल हैं, जैसे कपिलेश्वर स्थान एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यह पवित्र स्थान भगवान शिव को समर्पित है और यहाँ शिवरात्रि के दौरान भक्तों की भीड़ उमड़ती है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, मंदिर की स्थापना ऋषि कपिल ने की थी ,भवानीपुर गांव अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है।इसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर ने इसे पर्यटन स्थल के रूप में मशहूर बना दिया हैंl
नौलखा महल, जिसे स्थानीय लोग नौलखा मंदिर के नाम से जानते हैं,इसका निर्माण महाराजा रामेश्वर सिंह ने करवाया था और यह मधुबनी शहर से लगभग 17 किमी दूर स्थित है। नौलखा महल की वास्तुकला जटिल डिजाइन और विस्तृत कार्य के साथ भारतीय और मुगल शैलियों को दर्शाती है। दुर्भाग्य से, 1934 के विनाशकारी भूकंप के दौरान राजसी महल आंशिक रूप से नष्ट हो गया था, जिसने बिहार को हिलाकर रख दिया था। अपनी कमज़ोर संरचना के बावजूद, महल के अवशेष अभी भी भव्यता को दर्शाते हैं और देवी काली और दुर्गा की मूर्तियाँ रखते हैं।सोमनाथ महादेव मंदिर भारत के बिहार राज्य के मधुबनी जिले में स्थित एक महत्वपूर्ण हिंदू तीर्थस्थल है।यह भगवान शिव को समर्पित है और यह उन प्राचीन मंदिरों में से एक है जो हर साल बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों को आकर्षित करते हैं। सोमनाथ महादेव मंदिर की वास्तुकला प्राचीन भारतीय मंदिर डिजाइन को दर्शाती है जिसमें जटिल नक्काशी और मूर्तियां इसकी दीवारों को सुशोभित करती हैं।
पटना:
बिहार राज्य की राजधानी पटना हैं, जिसे प्राचीन काल मे पाटलिपुत्र के नाम से जाना जाता था , जो लगभग हजार वर्षों तक कई राजवंशों के तहत मगध की राजधानी के रूप में बना रहा।पटना गंगा नदी के दक्षिणी किनारे पर अवस्थित है जहां पर गंगा घाघरा, पुनपुन,सोन और गंडक जैसी सहायक नदियों से मिलती है। पटना नाम यहां के सिद्ध पीठ पटन देवी मंदिर पर पड़ा ।पटना में कई जगह ऐतिहासिक,धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, जैसे अगमकुआं और कुम्रहार जो अशोक कालीन भग्नावषेश का हिस्सा है।पटना साहिब में तख़्त हरमंदिर साहब सिखों के दसवें गुरु श्री गोविन्द सिंह जी का जन्म स्थल है। पटना के NIT घाट पर होने वाली गंगा आरती काफी प्रसिद्ध हैंl सूरज ढलते ही यहां पर गंगा आरती देखने के लिए काफी भीड़ जुट जाती है।, गोलघर ब्रिटिश काल के वस्तु का सुंदर नमूना है ।पटना से कुछ दूर हर साल लगने वाला सोनपुर मेला एशिया के सबसे बड़े पशु मेलों में से एक है, जो बिहार के सारण और वैशाली ज़िले की सीमा पर अवस्थित सोनपुर में दो नदियों - गंगा और गंडक के संगम पर आयोजित किया जाता है। पशुधन के व्यापार के लिए प्राचीन काल से लोकप्रिय, यह महीने भर चलने वाला आयोजन नवंबर के महीने में कार्तिक पूर्णिमा के शुभ अवसर पर शुरू होता है।
मनेर
मनेर जिसे मनेर शरीफ भी लिखा जाता है , पटना महानगर क्षेत्र में एक ब्लॉक और उपग्रह शहर है ।मनेर शरीफ़ बिहार की राजधानी पटना से 24 किमी पश्चिम में NH-922 पर स्थित है । इस शहर में सूफी संत मखदूम शाह दौलत की कब्र है जिन्हें हमबड़ी दरगाह और छोटी दरगाह के नाम से जाना जाता है l मखदूम शाह दौलत की मृत्यु 1608 में मनेर शरीफ़ में हुई , वहीं पर उनका मकबरा इब्राहिम खान ककर द्वारा बनाया गया जो 1616 में पूरा हुआl गुंबददार मकबरे की दीवारें जटिल डिजाइनों से सजी हैं ,और इसकी छत पर कुरान के अंश हैंl मनेर अपने स्वादिष्ट मोतीचूर के लड्डू के लिए भी जाना जाता है जिसे देशी घी मे बनाया जाता हैंl
वैशाली:
दुनिया में पहला गणराज्य होने का गौरव प्राप्त है। वैशाली ने महाभारत काल के राजा विशाल से अपना नाम लिया है। कहा जाता है कि वह यहां एक महान किला का निर्माण कर रहा था, जो अब खंडहर में है।वैशाली एक महान बौद्ध तीर्थस्थल भी है और भगवान महावीर की जन्मस्थली भी । ऐसा कहा जाता है कि बुद्ध ने तीन बार इस स्थान का दौरा किया और यहाँ लंबा समय बिताया। बुद्ध ने अपना अंतिम प्रवचन भी वैशाली में दिया था।
वाल्मीकि राष्ट्रीय उद्यान
वाल्मीकि राष्ट्रीय उद्यान बिहार राज्य के पश्चिमी चंपारण जिले में वाल्मीकि नगर में स्थित है। यह उद्यान नेपाल की सीमा के नजदीक बेतिया से 100 किलोमीटर दूर अवस्थित है। वैसे तो यह छोटा सा कस्बा ही है और यहां की आबादी भी कम है, यह उद्यान लगभग 900 गज के क्षेत्र में फैला हुआ है तथा 1990 में निर्मित किया गया था। यह क्षेत्र अधिकांशत वनों से ढका हुआ है। दरअसल यह उद्यान पश्चिम में हिमालय पर्वत से आने वाली गंडक नदी तथा उत्तर में नेपाल के रॉयल चितवन नेशनल पार्क से चारों ओर से घिरा हुआ है।पूरी तरह से हरियाली होने के कारण यहां पर बड़ी संख्या में विभिन्न तरह के जीव जंतु पाए जाते हैं। इन जीव जंतुओं में जंगली बिल्लियां, जंगली कुत्ते, राइनोसेरॉस, बाघ, भेड़िए, चीते, अजगर, हिरण, स्लॉथ बियर, सांभर, नीलगाय, हायना तथा पीफोल पाए जाते हैं।इस क्षेत्र में विविध प्रकार के पक्षी होने के कारण इसे भारतीय पक्षी संरक्षण नेटवर्क ने एक महत्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र के रूप में भी जगह दी है। अगर आप प्रकृति प्रेमी है और आपको पशु - पक्षी पसन्द है तो आप यहां आकर निराश नहीं होंगे l
दरभंगा बिहार के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है। इसकी दूरी नेपाल से 50 किलोमीटर की है। इसे मुख्य रूप से बिहार की सांस्कृतिक राजधानी कहा जाता है। दरभंगा शहर का नाम दो शब्दों के मिलने से बना है- द्वार तथा बंगा। जिसमें द्वार का अर्थ है 'दरवाजा' और बंगा का मतलब है 'बंगाल' यानी कि बंगाल का दरवाजा या प्रवेश द्वार।दरअसल प्राचीन समय में दरभंगा मिथिला का एक महत्वपूर्ण नगर हुआ करता था । यहां की मिथिला पेंटिंग पूरे विश्व में प्रसिद्ध है।इस क्षेत्र में विभिन्न मेले विभिन्न मौकों पर आयोजित होते हैं जिनमें दशहरा मेला, जन्माष्टमी मेला, कार्तिक पूर्णिमा मेला का विशेष महत्व है।इस क्षेत्र के निकट कुशेश्वर स्थान पक्षी अभ्यारण, दरभंगा किला, श्यामा काली मंदिर, होली रोसरी चर्च, महिनाम महादेव स्थान, चंद्रधारी संग्रहालय, मखदूम बाबा की मजार आदि पर्यटकों के आकर्षण के मुख्य केंद्र हैं।यहां जाकर आपको सदियों से समृद्ध लोक कला और परंपरा तथा धार्मिक स्थलों के बारे में अवश्य ही काफी कुछ नया जानने को मिलेगा।