सपनों की गुफ्तगू | Hindi Poetry

दीपांश स्थापक द्वारा
सपनों की गुफ्तगू | Hindi Poetry
Source: Tiny Buddha
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Updated on
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सपनों की गुफ्तगू में, रातें जब महकती हैं,

आँखों की चमक में, कितनी ही बातें कहकशाँ बन जाती हैं

चाँदनी की चादर तले, ख्वाबों की बस्तियाँ,

अनकही कहानियाँ बुनती हैं, मस्तियों की महफिल सजाती हैं।

रंगीन पंखों वाले परिंदे, जब उड़ान भरते हैं,

सपनों के आँगन में, नयी दुनिया की सैर करते हैं

सितारों की छांव में, जब दिल बातें करते हैं,

सपनों की गुफ्तगू में, रूह की सहर होती है।

खामोशी के लम्हों में, जब आवाजें गूंजती हैं,

सपनों की राहों में, दिल की तलब सवार होती है

नींद की गहराइयों में, जब अरमान जागते हैं,

सपनों की गुफ्तगू में, हर अहसास खास बन जाता है।

हर सपना एक राज़ है, हर ख्वाब एक हकीकत,

इनकी गुफ्तगू में, जिन्दगी की तलाश पूरी होती है।

सपनों की गुफ्तगू में, जब दिल मुस्कुराता है,

हर पल की ये बातें, हमारे साथ रह जाती हैं।

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