अगर आप अरुणाचल प्रदेश की यात्रा पे हैं तो एक दिन बुमला पास जाने के लिए ज़रूर रखें । यकीन मानिए ये आपके जीवन का यादगार दिन साबित हो सकता है । बुमला में भारत और चीन की सीमा रेखा है जिसे मैकमोहन लाइन के नाम से जानते है । इस सीमा के पार तिब्बत स्थित है । बुमला बोर्डर से तिब्बत का सबसे नजदीकी गांव Tsona Dzong जो 43 km पर स्थित है। तवांग से बुम ला पास का रास्ता 37 km का है जो अदभुत सुंदरता समेटे है । रास्ते में अनेकों खूबसूरत पर्वतीय झील दिखाई देते हैं ।हैं ।बोर्डर एरिया होने की वजह से यहां जाने के लिए तवांग से स्पेशल परमिट की जरूरत पड़ती है जिसे बनवाने के लिए आपको आधार कार्ड के साथ अरुणाचल में प्रवेश करने पर जो परमिट बनता है उस डॉक्यूमेंट की कॉपी भी देनी होती है। इस काम में टैक्सी ड्राइवर्स भी मदद कर देते हैं। बुमला जाने की अनुमति स्पेशल परमिट वाले टैक्सी को ही है। आप अपनी गाड़ी या किसी भी टैक्सी से नही जा सकते। रास्ते में दो बार आर्मी के चेक पोस्ट पर प्रवेश के लिए कागज़ात की जांच होती है। और यहां हम देखते हैं कि छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति लगाई गई है। तवांग से लेकर बुम ला तक ये सारा क्षेत्र 1962 के भारत चीन युद्ध की अनेक स्मृतियां समेटे हैं । अनेक शहीदों की वीरता के गवाह हैं ये पर्वत। उनमें से एक थे सूबेदार जोगिंदर सिंह जिनका यहां मेमोरियल बना है। शहीद जोगिंदर सिंह को अद्वितीय वीरता के लिए मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया है।