Graphic by Shatakshi Sarvesh
Spirituality

Guru Purnima 2024: जानिए गुरु पूर्णिमा महापर्व का महत्व और भारत के 6 महान आध्यात्मिक गुरुओं के बारे में

Shreya Priya Singh

गुरु का अर्थ होता है "अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला"। गुरु हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में ज्ञान देते हैं और सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं।

गुरु पूर्णिमा, जिसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है, शैक्षिक शिक्षकों के प्रति आभार व्यक्त करने और सम्मान देने के लिए समर्पित एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह हर साल हिंदू महीने आषाढ़ की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा हमें यह स्मरण कराता है कि गुरु का सानिध्य और मार्गदर्शन हमें जीवन की सच्ची राह पर चलने और आत्म-साक्षात्कार की दिशा में आगे बढ़ने में सहायता करता है। यह त्यौहार हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म में महत्वपूर्ण है। हिंदू धर्म में यह दिन गुरु व्यास के सम्मान में मनाया जाता है, जिन्होंने भगवत पुराण, महाभारत और अन्य ग्रंथों की रचना की थी। गुरु व्यास प्राचीन हिंदू परंपराओं में सबसे महान गुरुओं में से एक और गुरु-शिष्य परंपरा के प्रतीक हैं। बौद्ध धर्म में यह दिन बुद्ध के सम्मान में मनाया जाता है, जिन्होंने इस दिन सारनाथ में अपना पहला उपदेश दिया था। जैन धर्म में यह दिन भगवान महावीर के सम्मान में मनाया जाता है, जिन्होंने अपने शिष्य गौतम स्वामी को पहला मुख्य शिष्य बनाया था।

भारत में गुरुओं को ईश्वर का स्थान दिया गया है, और गुरु पूर्णिमा पर यह भाव और भी अधिक प्रबल हो जाता है। भारत में कई गुरुओं ने शिक्षा, ज्ञान और आध्यात्मिकता में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित किया है। इनमें से कुछ प्रमुख गुरुओं के नाम निम्नलिखित हैं:

1. स्वामी विवेकानंद : स्वामी विवेकानंद एक महान भारतीय संत, विचारक और समाज सुधारक थे। वे रामकृष्ण परमहंस के शिष्य थे। साल 1893 में, शिकागो धर्म संसद में उन्होंने भारतीय संस्कृति, दर्शन और योग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत किया।

2. स्वामी रामकृष्ण परमहंस : स्वामी रामकृष्ण परमहंस एक महान भारतीय संत और आध्यात्मिक गुरु थे। वे भारतीय भक्ति आंदोलन के प्रमुख संतों में से एक थे और उनके जीवन और शिक्षाओं ने लाखों लोगों को प्रेरित किया है। उनके प्रमुख शिष्य स्वामी विवेकानंद ने उनके विचारों और शिक्षाओं को पूरे विश्व में फैलाया।

3. श्री अरबिंदो :  श्री अरबिंदो भारतीय दार्शनिक, योगी, कवि और स्वतंत्रता सेनानी थे। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के बाद अध्यात्मिकता की ओर अग्रसर हुए। उनकी प्रमुख रचनाओं में "सावित्री", "द लाईफ डिवाइन", "द सिन्थेसिस ऑफ योग", "द ह्यूमन साइकिल", और "एसेज ऑन द गीता" शामिल हैं।

4. गुरु नानक देव : गुरु नानक देव सिख धर्म के संस्थापक थे और उनका “एक ओंकार” विश्वभर में प्रसिद्ध है। उन्होंने जात-पात, धर्म, और लिंग के भेदभाव को अस्वीकार किया और समानता को बढ़ावा दिया। उनके उपदेश "गुरु ग्रंथ साहिब" में संकलित हैं।

5. संत कबीर : संत कबीर भारत के एक प्रसिद्ध संत, कवि और समाज सुधारक थे। उनके भजनों और दोहों में 'राम' और 'अल्लाह' का बार-बार उल्लेख मिलता है, जिससे यह पता चलता है कि वे सभी धर्मों के ईश्वर को एक मानते थे।

6. संत तुलसीदास : संत तुलसीदास भारतीय साहित्य और भक्ति आंदोलन के एक प्रमुख कवि और संत थे। वे भगवान राम के परम भक्त थे और उनकी रचनाएँ रामभक्ति के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। उनकी रचनाएँ भारतीय संस्कृति, धर्म और साहित्य के महत्वपूर्ण अंग हैं।

गुरु पूर्णिमा भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण पर्व है जो गुरु-शिष्य संबंध की महिमा को दर्शाता है। यह दिन न केवल गुरुओं को सम्मानित करने का है, बल्कि उनके मार्गदर्शन और शिक्षाओं के प्रति आभार व्यक्त करने का भी है।

Stay connected to Jaano Junction on Instagram, Facebook, YouTube, Twitter and Koo. Listen to our Podcast on Spotify or Apple Podcasts.

Harihar Kshetra Sonepur Fair Faces Indefinite Closure as Villagers and Shopkeepers Protest License Delay

India strongly condemns civillian deaths in Israel-Hamas conflict, says PM Modi

Renewed drilling begins to rescue 40 men trapped in Indian tunnel for fifth day

'Uncontrolled Re-entry': Part of Chandrayaan-3's Launch Vehicle Enters Earth's Atmosphere, Says ISRO

Uttar Pradesh: Five Arrested for Gang Rape of Employee at Agra Homestay