शुक्रवार को ज्ञानवापी मामले में, वाराणसी अदालत ने फैसला सुनाते हुए, मस्जिद के “वाज़ुखाना” इलाके को छोड़ कर पूरे मस्जिद परिसर का एक साइंटिफिक सर्वे कराने की इजाज़त दे दी है|
अब आरक्योलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया इस आदेश के अनुसार 4 अगस्त तक, ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर में एक सर्वे कराकर, उसकी रिपोर्ट वाराणसी अदालत को 4 अगस्त तक सौंपेगा, जो की अगली सुनवाई की तारीख है| यह आदेश हिंदू पक्ष द्वारा डाली गयी याचिका और कोर्ट में हुई सुनवाई के आधार पर दिया गया|
हिंदू पक्ष की तरफ से हुआ फैसले का स्वागत...
हिंदू पक्ष की तरफ से काउंसिल के एक सदस्य विष्णु शंकर जैन ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि, “अब सर्वे किया जाएगा| अगर मुस्लिम पक्ष अलाहबाद हाई-कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जाने की कोशिश करता है तो हम एक कैविएट दयार कर देंगे|”
हिंदू पक्ष के वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने भी इस फैसले पर अपनी बात रखते हुए कहा कि,“यह इस केस का टर्निंग पॉइंट है, हमारी ASI सर्वे की याचिका को मंज़ूर कर लिया गया है|”
जैन ने आगे बताया की उन्होंने इससे पिछली हियरिंग में कोर्ट से “वाजुखाना” छोड़ बाकी पूरे मस्जिद की एक पुरातनिक और विज्ञानिक जांच की मांग की थी,जिसमें उन्होंने मुख्य रूप से तीन-गुमबदों की जांच की मांग की थी, जिसके बाद कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनकर 21 जुलाई के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया था|
जैन की मांग पर मुस्लिम पक्ष का तर्क क्या था?
जैन बताते हैं कि जब उन्होंने हिंदू पक्ष की तरफ से पुरातनिक (archeological) सर्वे की मांग रही थी, तब उनकी बात को यह तर्क देखर झुटलाने की कोशिश की गयी कि, एक पुरातनिक सर्वे करवाना, मस्जिद परिसर को नुक्सान पहुंचा सकता है|
इसपर क्या था हिंदू पक्ष का जवाब?
मुस्लिम पक्ष की दलील पर हिंदू पक्ष के वकील ने इसका जवाब देते हुए कहा कि, जांच के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करने की बात कही जिस से मस्जिद परिसर में किसी प्रकार का नुकसान न होने पाए|
इससे पहले की हियरिंग्स में क्या-क्या हुआ?
इससे पहले मई के महीने में मुस्लिम पक्ष ने ASI सर्वे करने की याचिका का विरोध किया था| 16 मई को आई अलाहबाद हाई-कोर्ट के फैसले के आने के बाद वाराणसी अदालत ने इस याचिका पर गौर करना शुरू किया|