भगवान जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार को 14 जुलाई को खोल दिया गया, ताकि भंडार की मरम्मत हो सके। रत्न भंडार में भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के कीमती आभूषण और अनमोल बर्तन संग्रहित हैं। यह भंडार के दो हिस्सों में बटा हुआ है: बाहरी भंडार और भीतरी भंडार। हर साल रथ यात्रा के समय बाहरी भंडार को खोला जाता है और भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के आभूषण निकाले जाते हैं। 2018 में तत्कालीन कानून मंत्री प्रताप जेना ने विधानसभा में बताया था कि रत्न भंडार में 12,831 भरी (एक भरी 11.66 ग्राम के बराबर) से ज्यादा सोने के आभूषण हैं, जिनमें कीमती पत्थर भी शामिल हैं। साथ ही 22,153 भरी चांदी के बर्तन और अन्य सामग्री भी हैं।
राज्य सरकार की बनाई गई समिति के 11 सदस्य मंदिर ने पहुंचकर अनुष्ठान किया। उसके बाद दोपहर 1:28 में रत्न भंडार का पहला दरवाजा खोला गया। पहले अक्सर अफवाहें उड़ती रहती थीं कि रत्न भंडार में सांप हैं, रत्न भंडार खुलने के बाद मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि, शाम के 5:20 में, जब समिति के सदस्य जब वापस आए तो उन्होंने कहा कि खजाने के अंदर कोई सांप नहीं है। हालांकि टीम ने इसके लिए पहले ही तैयारी कर ली थी। सांप पकड़ने वालों की दो टीमें बनाई गई थीं, एक अंदर गई थी और एक टीम बाहर तैनात थी।
इस खजाने को इससे पहले साल 2018 में खोलने की कोशिश की गई थी। ओडिशा हाईकोर्ट ने सरकार को मंदिर के इस कक्ष का निरीक्षण करने के लिए निर्देश दिया था। लेकिन फिर कोशिश बंद कर दी गई क्योंकि उस समय चैंबर की चाबियाँ नहीं मिल सकीं थीं, जिससे राज्य में नाराजगी देखने को मिली। नियम के मुताबिक, भंडार की चाबी पुरी कलेक्टर के पास होती है। लेकिन उस समय के कलेक्टर अरविंद अग्रवाल का यह मानना था कि उनके पास चाबी की कोई जानकारी नहीं थी।
चाबी नहीं मिलने के बाद पूरे ओडिशा में काफी बवाल हुआ। इसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने जांच-पड़ताल का आदेश दिया। जांच कमेटी ने चाबी से जुड़ी अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी, लेकिन सरकार ने इसे सार्वजनिक नहीं किया और चाबी के बारे में कुछ पता नहीं चल सका। पिछले साल अगस्त में जगन्नाथ मंदिर प्रबंध समिति ने राज्य सरकार से सिफारिश की थी कि रत्न भंडार 2024 की वार्षिक रथ यात्रा के दौरान खोला जाए।