Jaano Junction
Literature

नज़रअंदाज़ | Hindi Poetry

पढ़िए निधि स्वामी की लिखी हिंदी कविता "नज़रअंदाज़"

Nidhi Swami

नज़रअंदाज़

कुछ यूँ वो अपना प्यार बयां कर गए, 

वो तो हमें नज़र अंदाज़ कर गए। 

कोशिश कई बार, उसे भूल जाने कि की थी,

पर हर रात, उसकी यादों में गुज़री थी ।

ये आँखे रोइ भी थी, तड़पी भी थी, 

और इन सब में, मैं कई बार बिखरी भी थी।

संभली भी थी, सवरी भी थी, 

उसके ख्यालों में उलझी सी थी।

उसे भुलाने के लिए, हद से ज्यादा,

उसे ही याद करती थी।

वो तो हमें नजर अंदाज़ कर गए।

– निधि स्वामी

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