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Entertainment / मनोरंजन

"मिसेज़ अंडरकवर" : थोड़ी कॉमेडी फुल बकवास

कहानी एक ऐसी हाउसवाइफ की है जो स्पेशल फ़ोर्स अंडरकवर एजेंट है। 12 साल से हाउसवाइफ का जीवन जीते- जीते कई बार उसके सामने चुनौती होती है कि उसके लिए बच्चे का यूनिट टेस्ट और ससुर को साढ़े 8 बजे डिनर देना ज्यादा महत्त्वपूर्ण है या मिशन पूरा करना। फिल्म समीक्षा -डा.पूजा वर्मा द्वारा

Dr Pooja Varma

14 अप्रैल 2023 को ZEE5 ओटीटी चैनल पर राधिका आप्टे अभिनीत फिल्म ' मिसेज अंडरकवर' रिलीज हुई है। इसकी कहानी एक ऐसी हाउसवाइफ की है जो स्पेशल टास्क फोर्स अंडरकवर एजेंट है।  12 साल से  हाउसवाइफ का जीवन जीते- जीते कई बार उसके सामने चुनौती होती है कि उसके लिए बच्चे का यूनिट टेस्ट और ससुर को साढ़े 8 बजे डिनर देना ज्यादा महत्त्वपूर्ण है या मिशन पूरा करना। यही  गृहिणी आखिर में  खुद को कॉमन मैन  कहने वाले एक साइको सीरियल किलर से लड़कर जीतती है। फिल्म का लेखन व निर्देशन अनुश्री मेहता ने किया है जो पहले भी राधिका आप्टे को लेकर ' अनकही' बना चुकी हैं । महिला निर्देशक ने फिल्म में गृहिणियों को दुर्गा की शक्ति धारण करने वाली दिखाया है। फिल्म की शुरुआत बड़े अच्छे तर्ज़ पर होती है लेकिन जैसे ही फिल्म आगे बढ़ती है वाहियात होती जाती है। फिल्म का लेखन और स्क्रिप्ट इतना लचर है कि दर्शक अपने ज़ेहन में दसियों सवाल लेकर रह जाता है जिसका फिल्म में कोई तार्किक उत्तर नहीं मिलता है। 

फिल्म के पहले दृश्य में ही साइको किलर कौन है.. क्यों है, दिखाकर निर्देशिका यह स्पष्ट कर देती है कि यह सस्पेंस फिल्म नहीं है बल्कि थ्रिलर कॉमेडी है। आज कल इस तरह के फ्यूजन विषय पर बनने वाली फिल्में लोकप्रिय भी हो रही हैं, लेकिन यह फिल्म लेखन और निर्देशन के मामले में निराश करती है। पूरी फिल्म में जो दो-तीन डायलॉग मज़ेदार है वह आप ट्रेलर में ही देख लेते हैं । पूरी फिल्म को बर्दाश्त कर पाते हैं तो सिर्फ राधिका आप्टे, सुमित व्यास और राजेश शर्मा के अभिनय की वजह से ।

फ़िल्म का ट्रेलर देखिएः

12 साल से अंडरकवर एजेंट दुर्गा शादी करके  गृहिणी बनकर मिशन का इंतजार कर रही है क्योंकि दफ्तर में आग लगने से विभाग में से उसकी जानकारी ही लुप्त हो गई थी। फिल्म में नायिका दुर्गा गृहिणी का जीवन जीते-जीते परिवार के साथ इतनी उलझ चुकी है कि वह पिस्तौल चलाना भी भूल चुकी है लेकिन समय पड़ने पर आराम से बम डिफ्यूज कर लेती है..आठ -दस गुंडों को नचा कर फेंक भी देती है।

साइको किलर सिर्फ सशक्त महिलाओं को अपना शिकार बनाता है । किलर की एक महिला साथी नायिका के पति को मारना चाहती है। ऐसी सशक्त महिला उस खूनी के साथ क्यों है जो सशक्त महिलाओं को मांरता है इसका कोई उत्तर नहीं मिलता। पुलिस 17 खून के बाद भी हत्यारे का कोई सुराग नहीं पा सकी, फिर मिसेज अंडरकवर को मिशन सौंपते ही पूरे कोलकाता शहर में सिर्फ दो लोगों को शक के दायरे में लिया जाता है  जिनमें से एक असली हत्यारा है। किलर खून अकेले ही करता है और अकेला ही जीता है, लेकिन फिल्म में उसके साथ एक पूरे गैंग का होना दिखाया जाता है जिसका संबंध ना तो कहीं पर किलर से स्पष्ट किया गया है और ना ही उसका कोई अंत दिखाया गया है।

वैसे जब कोई फिल्म ओ टी टी पर आती है तो लोग देख ही लेते हैं। टिकट, पेट्रोल, पॉपकॉर्न के पैसे जो नहीं लगते और टाइम भी खोटा नहीं होता, बिस्तर पर पड़े- पड़े ऊंघते हुए भी फिल्म देख लेते हैं ।इसलिए देखना है तो देख लीजिए। कहीं-कहीं आप मुस्कुरा देंगे इसकी गारंटी है और क्लाइमैक्स के बाद खूब हसेंगे इस बात पर कि भाई आखिर यह क्या बकवास चल रहा है..!

-डा.पूजा वर्मा

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